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प्रवचन-कर्ता से एक लड़की ने पुछा– सारी पाबंदिया लड़कियों पर ही क्यों लगायी जाती है , जबकि 80% गलत काम लड़के करते है. फिर क्यों सिर्फ लड़कियों पर पाबंदी लगाना ठीक है. यदि लड़को पर पाबंदी लगायी जाये तो ज़्यादा भला होगा समाज का, लडकिया भी अपनी इच्छाए पूरी कर पाएंगी, माता-पिता भी इजाज़त दे देंगे आसानी से , लड़कियां ज़्यादा खुश रहेंगी…..और वैसे भी जिसकी गलती है वही सुधरे तो अच्छा है, जिसकी गलती है ही नहीं, वो क्यों सुधरे?……..लडकियो के एक कदम पीछे हटाने से ऐसा नही है की उनके और लड़को की बद्तमीज़ियो में एक कदम की दूरी आ जाएगी, बल्कि उल्टा लड़के दो कदम आगे बढाएंगे ….फायदा क्या..?? ऐसे ही चले तो एक दिन ऐसा आएगा जब लड़कियों को घर के आँगन में भी बुरका पहन के निकलना पड़ेगा.
प्रवचन-कर्ता – बेटा, मुझे ये बताओ अगर तुम्हे हीरे की हिफाज़त करने को दिया जाए तो तुम क्या करोगी , उसे कहा रखोगी?
लड़की – ज़ाहिर सी बात ह तिजोरी में या लॉकर में जहा कोई आसानी से न पहुंच सके..
प्रवचन-कर्ता – बस इसीलिए… बेटा लडकिया तो हीरा होती है हीरा…..और हीरे को कोई भी तिजोरी के अंदर ही रखेगा , ये भी उतनी ही ज़ाहिर सी बात है. तुम्ही ने अभी बोला..
लड़की – लडकिया हीरा नहीं होती , जिसकी कोई कीमत लगा सके , जो बाज़ारो में बिक सके, या जिसकी बोली लगती हो…
लडकिया इंसान होती है…उनमे जान होती है…वो हीरे की तरह बेजान नही होती.
हीरे में कोई इच्छा नही होती..की वो तिजोरी से निकले..दुनिया घूमे..दूसरे हीरो के साथ बात करे, या घूमे-फिरे.
हीरा बेशक बेशकीमती होता है…पर अपनी सुंदरता के लिए .
लडकिया भी बेशक बेशकीमती होती है पर अपनी सुंदरता के लिए नही बल्कि अपनी उस विशेषता के लिए जो उन्हें लड़को से अलग करती है
और लड़को और लड़कियों में अंतर कपड़ो से , या उनके गुस्से से , या उनके शौक से या उनके रौब से नही होता है….बल्कि फ़र्क़ तो इस बात का होता है की-
लडकिया माँ-बाप से अलग रहकर भी उनसे दूर नही होती , पर
लड़के माँ-बाप के साथ रहकर भी उनसे अलग हो सकते है…
इसलिए सभी पाठको से मेरा निवेदन है की लडकिया …..बेशकीमती ज़रूर है, पर उन्हें तिजोरी में बंद न करे ….क्यूंकि वो हीरा नही हीरे की तरह बेशकीमती इंसान होती है…..
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